नल या कल के पानी से करते हैं स्नान तो गरुड़ पुराण मे लिखी यह बात जान लें

नल या कल के पानी से करते हैं स्नान तो गरुड़ पुराण मे लिखी यह बात जान लें

हमारे हिन्दू धर्म मे पुराण का अपनी महत्व है। हम सभी पुराने तौर तरीके, धर्म कर्म के काम और अन्य जानकारी के लिए पुराण पढ़ते और सुनते हैं। इनमे भी गरुड़ पुराण का खास स्थान है। आज हम आपको बताएंगे की पानी यानि की जल के बारे मे गरुड़ पुराण मे क्या लिखा है और कौन स जल सबसे पवित्र माना जाता है।

तीर्थतोयं ततः पुण्यं गाङ्गं पुण्यन्तु सर्वतः । गाङ्गं पयः पुनात्याशु पापमामरणान्तिकम् …

यह गरुड़ पुराण मे लिखा है – इसके अनुसार तीर्थ का जल और उसमे भी गंगा का जल सबसे पवित्र होता है और इससे पापों का विनाश तुरंत हो जाता है।

गरुड़ पुराण की माने तो कौन स जल सबसे पवित्र है उसके बारे मे यह लिखा है –

भूमि से निकला जल पवित्र होता है। यानि की जो जल हम चापाकल से निकालते हैं वह इसी श्रेणी मे आता है ।

इस जल से भी ज्यादा पवित्र वह जल होता है जो पर्वत से या झरने से निकलता है। झरने का जल जमीन से निकले जल से ज्यादा पवित्र माना जा सकता है।

सरोवर का जल उससे भी बेहतर होता और नदी का पानी और ज्यादा उत्तम माना गया है। यानि की पर्वत या झरने से निकालने के बाद जो जल नदी के रूप मे बहता है वह और भी पवित्र होता है।

अब इन नदियों मे भी जो नदी तीर्थ स्थलों पर है, उन नदियों का पानी ज्यादा श्रेष्ठ है।

और हर हिन्दू यह जानता है की समस्त तीर्थों के नदियों मे गंगा जल की कोई तुलना नहीं है। गंगा जल हिन्दू धर्म मे अमृत के समान पवित्र माना गया है और इससे समस्त पापों का नाश तुरंत ही हो जाता है।

तो दोस्तों, अब आप जान गए हैं की गरुड़ पुराण मे जल के पवित्रता के बारे मे क्या कहा गया है।

ऐसी अन्य जानकारी के लिए Talkshubh News को गूगल न्यूज पर जरूर फॉलो करें।

Author: Talkshubh Reporter

Talkshubh is an Indian news website. We write about important news from India, mostly about citizen rights and information that will help them like government news, safety measures and more.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *